
📌पूर्वी लद्दाख से श्योक नदी में मिलने वाली एक गलवान नदी बहती है इसका नाम गुलाम रसूल गलवान के नाम पर रखा गया था इसी कारण इस जगह को गलवान घाटी के नाम से भी जाना जाता है।
📌गुलाम रसूल की पैदाइश सन 1878 में कश्मीर के एक बेहद गरीब परिवार में हुयी थी।कम उम्र में ही इन्होने अपने इलाके में आने वाले यूरोपीय यात्रियों के लिए गाइड का काम करना शुरू कर दिया था। इन्होने कई मशहूर लोगों के लिए भी काम किया ।
📌जब गुलाम रसूल सिर्फ 14 साल के थे तब चार्ल्स मरे जो की डनमोर् के सातवें अर्ल थे अर्ल को आप एक राजा के बराबर का आदमी समझ सकते हैं। डनमोर् आयरलैंड में स्थित एक जगह का नाम है। इनके काफिले के साथ यात्रा पर निकले इनका काफिला एक जगह जा कर अटक गया जंहा सिर्फ ऊँचे पहाड़ और गहरी खायीयां थीं और उनके बीच से एक नदी बह रही थी किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की यंहा से कैसे निकलना है तब गलवान ने एक आसान रास्ता ढूंढ कर उस काफिले को वंहा से निकाला। लद्दाखी इतिहासकार अब्दुल गनी शैख़ के मुताबिक गलवान के इस साहस को देख कर चार्ल्स उनसे बहुत मुतास्सिर हुए और उस जगह का नाम गलवान नदी या नाला रख दिया आगे चल यही जगह गलवान घाटी के नाम से जानी गयी।